स्टारन्यूज़ एमपी/डेस्क/भिण्ड
मध्यप्रदेश में मोहन सरकार के मंत्री मंडल का गठन हो चुका 28 मंत्रियों ने शपथ ले ली है जिसमें 18 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्री है, कैबिनेट में जगह पाने वालों में भिंड जिले के मेहगांव विधानसभा क्षेत्र का विधायक दूसरी बार मंत्री बना है, लेकिन इस बार सरकार मोहन सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी देते हुए राकेश शुक्ला को कैबिनेट मंत्री बनाया है।
-दूसरी बार बेला मेहगांव विधानसभा को मंत्री पद, विधानसभा गठन के बाद से ही भिंड ज़िले का मेहगांव विधानसभा क्षेत्र मंत्री पद के लिए तरसता रहा लेकिन 2020 में जाकर इस क्षेत्र को पहला पद राज्यमंत्री के रूप में मिला तत्कालीन सिंधिया समर्थक विधायक ओपीएस भदौरिया को तत्कालीन शिवराज सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया था, जिन्होंने काम भी किए और विवादों में भी रहे, लेकिन शायद विवादों की वजह से 23 के चुनाव में बीजेपी का टिकट फिसलकर राकेश शुक्ला की झोली में पहुंचा जिन्होंने ज़िले की सबसे बड़ी जीत हाँसिल की और अब उन्हें मोहन सरकार में मंत्री पद से नवाज गया है।
-मेहगांव विधानसभा को मिला पहला कैबिनेट मंत्री,
मेहगांव विधानसभा से विधायक चुने गए राकेश शुक्ला उन 18 कैबिनेट मंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने सोमवार को मोहन सरकार के मंत्रिमंडल में शपथ ग्रहण की है,वह अपने विधानसभा क्षेत्र से पहले कैबिनेट मंत्री हैं और भिंड दतिया लोकसभा क्षेत्र से इकलौते मंत्री है।
-समर्थकों में खुशी की लहर,
24 दिसंबर की आधी रात जैसे ही लोगों को जानकारी मिली कि राकेश शुक्ला को मंत्री बनाया जा रहा है तो उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई और सैकड़ो की तादात में समर्थक गाड़ियां लेकर भोपाल के लिए रवाना होने लगे, राकेश शुक्ला ने जैसे ही कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली और जानकारी मिली तो समर्थको ने मेहगांव गोरमी रोन अमायन आदि कई जगहों पर आतिशबाजी चलाकर और मिठाइयां बताकर खुशी का इजहार करते हुए भिंड जिले का चहुमुखी विकास के रास्ते खुलने की चर्चाएं होने लगी।
-सरकार ने राकेश शुक्ला को मंत्री बनाकर जातीय समीकरण साधने का काम किया है।
भारतीय जनता पार्टी जातीय समीकरणों को साधना अच्छे से जानती है,यही वजह थी विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट में फेरबदल किया गया था, और उसका फ़ायदा मिला भी मेहगांव क्षेत्र से राकेश शुक्ला 22 हजार से अधिक मतों से जीते, जो पूरे ज़िले में सबसे अधिक जीत का अंतर था, ज़िले में बहुसंख्यक ब्राह्मणों को साधने के लिए अच्छा विकल्प भी हैं,साथ ही उनकी छवि भी साफ़ सुथरी है, संगठन के साथ ही जनता में भी अच्छी पकड़ रखते हैं,राकेश शुक्ला बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये थे, यही वजह कि जनता और सरकार दोनों ने ही उनपर भरोसा दिखाया है।
-पिता के निधन के बाद लड़ा था पहला चुनाव,
बात अगर राकेश शुक्ला की करें तो राकेश शुक्ला भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं, राकेश शुक्ला के पिता बीजेपी से जुड़े थे 1982 से 85 तक वे बीजेपी के ज़िला अध्यक्ष भी रहे थे, दो बार वह चुनाव भी लड़ी थी और बहुत कम अंतर से चुनाव हारे थे, लेकिन 1997 में उनके निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भरोसा दिखाया और 1998 में राकेश शुक्ला को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की थी,
-राकेश शुक्ला का चुनावी सफर,
1998 राकेश शुक्ला बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े थे उनके प्रतिद्वंदी रहे हरिसिंह नरवारिया को उन्होंने शिकस्त दी और पहली बार में ही विधायक बन गये थे, इसके बाद 2003 में भी उन्हें टिकट मिला लेकिन हार गये, 2008 में एक बार फिर पार्टी ने उन्हें मौक़ा दिया तो राकेश शुक्ला जीत दर्ज कराते हुए दूसरी बार विधायक बने, लेकिन 2013 में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया, जिससे नाराज़ होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाये, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर शुक्ला पर दांव लगाया लेकिन इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा और जीत तत्कालीन कांग्रेस कैंडिडेट ओपीएस भदौड़िया के खाते में गई,जब 2023 के चुनाव आये तो पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे में जनता की मांग को देखते हुए बीजेपी ने एक बार फिर राकेश शुक्ला पर भरोसा जताते हुए टिकट देकर मैदान में उतारा इस बार जनता में बंपर वोट देकर विजय श्री दिलाई, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के भांजे राहुल सिंह भदौरिया को 22 हज़ार से अधिक मतों से हराते हुए तीसरी बार विधायक बनाया और अब मोहन सरकार ने राकेश शुक्ला पर भरोसा जागते हुए कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई है।
-भिंड को मिलता रहा है सहकारिता विभाग,
राकेश शुक्ला मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर आसीन हो गये लेकिन अब तक मंत्रालय का आवंटन बाक़ी है, लंबे समय से भिंड ज़िले के मंत्री को सहकारिता और सामान्य प्रशासन मंत्रालय की बड़ी ज़िम्मेदारी मिलती रही है फिर चाहे वे कांग्रेस सरकार में डॉ गोविंद सिंह रहे हों अथवा बीजेपी सरकार में अरविंद भदौरिया, लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार बीजेपी में बदलाव के दौर से गुजर रही है, ऐसे में एक के बाद चौक़ाने वाले फ़ैसलों के बीच होने वाला आवंटन के तहत राकेश शुक्ला की झोली में कौन सा मंत्रालय लाएगा ये तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन भिंड ज़िले को बड़ी ही जिम्मेदारी मिलेगी इस बात से अब इनकार नहीं किया जा सकता।