शक्ति सिंह/कोटा. राजस्थान में सावन के समय घेवर की मीठी परंपरा है. राखी के पर्व से पहले मार्केट में मिठाइयों की दुकानों पर घेवर की धूम मची रहती है. सभी लोग घेवर बेहद पसंद करते हैं. घेवर उत्तर भारत से लेकर राजस्थान तक एक सीज़नल शगुन के रूप में भेट देने वाला व्यंजन हैं. ऐसे में कोटा के बाजारों में भी मिठाइयों की दुकानों पर अलग-अलग प्रकार के घेवर मिल रहे हैं जो 500 रुपए किलो से लेकर 700 रुपए किलो तक हैं.
घेवर एक छत्ते के आकार की भारतीय मिठाई है, इसे मैदा या गेहू के आटे और घी का उपयोग करके तैयार किया जाता है. कुछ लोग इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ी मात्रा में बेसन मिला देते हैं. इन सामग्रियों का उपयोग करके इसे अच्छा बनाया जाता है और पाईपिंग घी या गर्म तेल में ऊंचाई से गिराया जाता हैं. घेवर की पारंपरिक रेसिपी को परफ़ेक्ट तरीक़े से बनाने के लिए काफ़ी अभ्यास, अनुभव और कौशल की ज़रूरत होती थी. इसलिए, इस मिठाई की रचना करने में काफ़ी समय और मेहनत लगती थी.
सावन की तीज का है बहुत महत्व
राजस्थान में सावन की तीज का बहुत अधिक महत्व है. मान्यता है कि तीज अनोखे प्रेम की गाथा हैं. अपने मनचाहे वर को पाने के लिए, शिव को पाने के लिए माता गौरी ने घोर तपस्या की और 108 जन्म लिए. तीज के दिन ही उनकी उस तपस्या का फल मिला और शिव ने अपनी पत्नी के रूप में पार्वती मां को स्वीकार किया. इसी प्रेम और आस्था को मनाने के लिए नव विवाहित, सुहागन स्त्रियां तीज मनाती हैं और मायके से ससुराल या ससुराल से मायके में जो सौगात के मिष्ठान भेजे जाते हैं उनमें घेवर का महत्व अधिक होता है. पुराने लोग बताते हैं कि बिना घेवर के ना रक्षाबंधन का शगुन पूरा माना जाता है और ना ही तीज का. यह ऐसे एक शगुन की मिठाई जो न सिर्फ़ मिठास बाटती हैं, बल्कि प्यार और स्नेह को संजोके भी रखती हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 17, 2023, 10:48 IST

Author: Star News MP



