
स्टार न्यूज़ एमपी डेस्क
प्रदीप शर्मा/पीयूष कुमार
भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट कांग्रेस पार्टी के लिए अजय बनी हुई है और लहार से भारतीय जनता पार्टी लगातार 35 वर्षों से कांग्रेस के डॉक्टर गोविंद सिंह से चुनाव हारती आ रही है, विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी के आला नेताओं की निगाह लहार विधानसभा पर है और वह गोविंद सिंह को उन्हीं के गढ़ मैं पठखनी देने की कयाबद कर रही है, जिसके लिए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह से लेकर सिंधिया तक बीते एक साल में कई दौरे कर चुके हैं, लेकिन डॉक्टर गोविंद सिंह भाजपा की आपसी फूट का हर बार फायदा उठाकर विधानसभा के दरवाजे पर दस्तक दे देते हैं, लेकिन इस बार भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा अंबरीश शर्मा गुड्डू का टिकट घोषित होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी में अंतरकलह खुलकर सामने आ गया है, जिसमें पूर्व विधायक रसाल सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन कर मंच से मांग करते कहां की पार्टी अमरीश शर्मा गुड्डू का टिकट बदलने पर विचार करले नहीं तो फिर हम विचार कर लेंगे, कहते हुए उन्होंने अपने बगावती तेवर दिखा दिए हैं, सभा में उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने सर्वे कराए थे, पार्टी के साथ आरएसएस और आईबी समेत कई सर्वे हुए थे और उनमें 14 सर्वे में टिकिट की दौड़ में नाम सिर्फ़ रसाल सिंह का था, वहीं मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने आरोप लगाया है कि वो पिछले 10 वर्षों के पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, और क्षेत्र के सभी कार्यकर्ता उन पर डिपेंड हैं,कार्यकर्ता कहीं भी जायें उनकी कोई सुनता नहीं, क्योंकि वे बीजेपी के कार्यकर्ता है ऐसे में कांग्रेस का उन पर प्रहार होता है, ऐसे में अब जो स्थिति बनी है उसमे सभी कार्यकर्ताओं को बुलाया था हमारे कार्यकर्ता साथ जीने मरने वाले हैं, अब ऐसी स्थिति में अगर उन्हें छोड़ दिया तो उनकी कौन सुनेगा कौन देखेगा, उन्होंने कहा कि पार्टी ने ऐसे लोगों को टिकट दिया है जिनमे से एक तो पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का विरोधी है चुनचुन कर उनपर हमले करता है, और दूसरा पार्टी के लोगों को पहचानता ही नहीं है, तो अब ऐसा है कि या तो पार्टी टिकट बदलने पर विचार कर सकती है तो कर ले, और अगर पार्टी विचार नहीं करती है तो फिर हम विचार कर लेंगे, वहीं उन्होंने शायरी के ज़रिए भी अपनी मंशा साफ़ कर दी है कि “खून दे कर भी अगर पसीने की क़ीमत भी ना मिले, तो ये आसार बगावत के हुआ करते हैं.” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं ने उन्हें अस्वस्त किया है वे चुनाव लहार से बिलकुल लड़ेंगे अब अगर पार्टी उस पर विचार कर ले तो ज्यादा अच्छा है, गौरतलब है कि रसाल सिंह पूर्व में भी लहार से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं जिनमे एक बार उनके खिलाफ मैदान में बीजेपी नेता रोमेश महंत निर्दलीय लड़े और ब्राह्मण वोट काट दिया, वहीं पिछले 2018 के चुनाव में बीजेपी के घोषित उम्मीदवार अम्बरीश शर्मा बसपा के टिकट से चुनाव में उतरे थे उस दौरान भी जातिगत रूप से ब्राह्मण वोट उनके खाते में चले गये थे, इस वजह से बीजेपी और रसाल सिंह को हार का सामना करना पड़ा था,और पार्टी ने इस बार अम्बरीश शर्मा को ही टिकट दे दिया है लेकिन वे कहीं ना कहीं बीजेपी के मूल कार्यकर्ता से जुड़े नहीं या जुड़ना नहीं चाहते अपने ही समर्थकों से घिरे अम्बरीश शर्मा टिकट की चाँदनी में खोये हुए है, जिससे इस बग़ावत का असर उन्हें चुनाव में देखने को मिलेगा, वहीं इस तरह की परिस्थितों के चलते उठे विरोध के सुर कहीं ना कहीं चुनावी दौर में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहीं है, शायद यही कारण है कि आपसी सामंजस्य की कमी के चलते भारतीय जनता पार्टी को इस बार मध्यप्रदेश में स्थानीय क्षत्रपों की जगह अपने केंद्रीय मंत्री और सांसद तक चुनाव मैदान में टिकट थमाकर उतारने पड़े हैं,साथ ही उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व पर टिकट काटने का आरोप भी लगाया।


Author: Star News MP



